रविवार, 24 फ़रवरी 2019

शहीदों के नाम

किसी भी समझोते का अब मुझको मान नहीं 
आम आदमी हूँ मुझको राजनीति का ज्ञान नहीं 

देखी  है मैंने लाशें चीथड़ों में वीर  जवानो की 
ओछी हरकत गद्दारो और कायरानो की 

 देखीं  है  मैने सुनी मांगे जो कुछ दिन पहेले ब्याही थी 
किसी के बेटे की कुछ दिन बाद सगाई थी 

बाप की छाती पड़ी माँ को अपना होश नहीं 
और माँ बोल रही,
अभी एक बेटा और है मुझको अफ़सोस नहीं