मंगलवार, 11 सितंबर 2018

साड़ी

जींस ने कर ली साड़ी से लड़ाई
करने लगी अपने मुँह अपनी बड़ाई

साड़ी से बड़बोली जींस बोली
जलन की परत धीरे धीरे खोली

आसुओं को पीना
घुट घुट कर  जीना

दहेज़ के लिए जल जाना
चौका बर्तन खाना बनाना

तेरी तो यही कहानी है
लड़किया मेरी दिवानी है

तू ठहरी गॉव की गवाँर
मेरी मुट्ठी  मे हे संसार

मैं  शहर की पली बढ़ी
तू दासी बन कर रही खड़ी

मेरा सुबह शाम थिरकना
तेरा कोने  में सिसकना

तेरे चीथड़ों से घटता मान
कटने फटने के बाद मै बढ़ाती हूँ शान

मैं लेटेस्ट सांग हूँ
मैं समय की मांग हूँ

साडी कर रही थी बहुत सहन
उसने कहा सुनो मेरी छोटी  बहन

नारी और हमारा युगो युगो का साथ है
नारी को नारी बनाने मैं हमारा हाथ है

मैं ही रामायण मैं ही गीता
मैं ही सावित्री मैं ही सीता

मैं ही लाज मैं ही मर्यादा
मैं  गोकुल की राधा

मैं मीरा की भक्ति
मैं  दुर्गा  शक्ति

मैं ही पन्ना मैं झांसी की रानी
इतिहास मैं दर्ज मेरी कितनी कहानी

मैं बीड़ा की सरगम
मैं  तबले की ताल

मैं ही हूँ वो आँचल
जिसमे  पलते है लाल

मैं नारी की लाज हूँ
मैं कल भी थी मैं आज हूँ

मुझे तेरी हर बात सहन है
क्यों की तू मेरी छोटी बहन है ....

क्यों की तू मेरी छोटी बहन है ....







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