एक बार माँ सरस्वती ने
धरती में घूमने का मन बनाया
कलियुग है कलियुग मत जाइये
बृह्मा जी ने बहुत समझाया
सभी पत्नियो की तरह उन्होंने भी
बृह्मा जी की एक ना सुनी
भारत में घूमने के लिए
एक जगह चुनी
धरती मैं कदम रखते ही
उन्होंने जो देखा
उनके मस्तक में उभर आयी
चिन्ता की रेखा
बहुत सारे माँ बाप
अपने अपने बच्चो के साथ
विद्यालय के गेट के बहार खड़े थे
कुछ माँ बाप गेट से अंदर जा रहे थे
जिनके थैले थोड़े बड़े थे
यह सब देख कर , उन्होंने
वहाँ खड़े चौकीदार से किया सवाल
भाई साहब ,काहे का मजमा
काहे का ये ववाल
चौकीदार बोला , बहन जी
ये निजी विद्यालय है
यहाँ बकरो को छाटा जा रहा है
धन्धा है धन्धा , ज्ञान के मंदिर में
धीरे धीरे काटा जा रहा है
गरीब माँ बाप के बच्चे
सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते है
पानी मिला हुआ दूध
भ्रष्टाचार्य की जमीन से उपजा अनाज
बच्चे रोज पीते और खाते है
सुनकर उसकी सारी बाते
आखे उनकी भर आई
सोच रही थी बस वो इतना
ब्रह्मा जी की बात सही थी।पाई पाई
धरती में घूमने का मन बनाया
कलियुग है कलियुग मत जाइये
बृह्मा जी ने बहुत समझाया
सभी पत्नियो की तरह उन्होंने भी
बृह्मा जी की एक ना सुनी
भारत में घूमने के लिए
एक जगह चुनी
धरती मैं कदम रखते ही
उन्होंने जो देखा
उनके मस्तक में उभर आयी
चिन्ता की रेखा
बहुत सारे माँ बाप
अपने अपने बच्चो के साथ
विद्यालय के गेट के बहार खड़े थे
कुछ माँ बाप गेट से अंदर जा रहे थे
जिनके थैले थोड़े बड़े थे
यह सब देख कर , उन्होंने
वहाँ खड़े चौकीदार से किया सवाल
भाई साहब ,काहे का मजमा
काहे का ये ववाल
चौकीदार बोला , बहन जी
ये निजी विद्यालय है
यहाँ बकरो को छाटा जा रहा है
धन्धा है धन्धा , ज्ञान के मंदिर में
धीरे धीरे काटा जा रहा है
गरीब माँ बाप के बच्चे
सरकारी स्कूल में पढ़ने जाते है
पानी मिला हुआ दूध
भ्रष्टाचार्य की जमीन से उपजा अनाज
बच्चे रोज पीते और खाते है
सुनकर उसकी सारी बाते
आखे उनकी भर आई
सोच रही थी बस वो इतना
ब्रह्मा जी की बात सही थी।पाई पाई