मंगलवार, 15 अक्टूबर 2019

कंक्रीट का जंगल


आज से करीब करीब
40  से 50   साल बाद
पेड़ पौधे हरियाली
हमको बहुत आएंगे याद 

600  से ज्यादा होगा
धरती का तापमान
जहाँ तक नजर जाएगी
दिखेंगे सिर्फ पक्के  मकान

ना ढंग का खाना होगा
ना पीने लिये के पानी
असहनीय होगा सहना
सूरज की शैतानी

लोग बस किसी तरह
घरो में रह रहे होंगे
पहले धरती कितनी सुन्दर थी
बच्चो से कह रहे होंगे

चारो तरफ हरियाली ही हरियाली
बहुत सी नदिया बहती थी
मुझे बचा लो मुझे बचा लो
धरती सबसे कहती थी

हमारे पूर्वजो ने नहीं दिया
आने वाले कल का ध्यान
बस आज की सोच रहा था
मतलबी था हर इंशान

पेड़ो को काट काट कर
जंगलो को कर दिया साफ़
कंक्रीट के इस जंगल के लिए
हम कभी नहीं करेंगे उनको माफ़

गुरुवार, 10 अक्टूबर 2019

विपाशा


कल रात

सपनो में आयी विपाशा

तनिक भी नहीं थी

जिसकी मुझे आशा 


मेनका को मात देती

उसकी मुस्कान

ऊपर से नीचे तक

सुंदरता की खान


अच्छो अच्छो की

तपस्या कर दे भंग

स्वप्न सुंदरी को

सम्मुख देख मैं दंग


इशारो इशारो में

भेज रही थी सन्देश

हम दोनों के मिलन में

क्या रह गया शेष


तुमने मेरे मन में

ऐसी आग लगाई

सारी शूटिंग कैंसिल कर

तुम्हारे पास आयी 

शब्दों के चला रही थी

मीठे मीठे तीर

खुद को समझने लगा राँझा

उसको हीर


अचानक विलेन की तरह

जॉन ने इंट्री मारी

धरी की धरी रह गई

मेरी सारी होशियारी


दौड़ा दौड़ा कर 

उसने मुझे कूटा

खटिया से गिरकर

मेरा सपना टूटा


आँख खोल कर देखा

सामने मेरे बापू खड़े थे

पुरे शरीर में मेरे

जूते के निशान पड़े थे


गुरुवार, 3 अक्टूबर 2019

बापू

कल रात सपने में
बापू से हुई मुलाक़ात
थोड़ी सी बात

पूछने लगे
कैसे है नीचे के हाल चाल
हमने कहा
बस,सब गलाने में लगे हैं
आपके नाम की दाल

दो अक्टूबर को जरूर
आपको याद  कर लते हैं
अहिंसा परमो धर्म
बस मन ही मन कहते है

सरकारी ऑफिस में अभी भी
आपका है पूरा पूरा सम्मान
कागज के रंग बिरंगे टुकड़े को
भगवान् समझ रहा है इंसान

और क्या सुनाऊ बापू
आपको नीचे की कहानी
नौकरी और छोकरी में
दम तोड़ दे रही
जवानो की जवानी

अच्छा बापू चलता हूँ
फिर  होगी मुलाक़ात
दिल में मत लेना बापू
मेरी कोई भी बात