कल
रात
सपनो
में आयी विपाशा
तनिक
भी नहीं थी
जिसकी
मुझे आशा
मेनका
को मात देती
उसकी
मुस्कान
ऊपर
से नीचे तक
सुंदरता
की खान
अच्छो
अच्छो की
तपस्या
कर दे भंग
स्वप्न
सुंदरी को
सम्मुख
देख मैं दंग
इशारो
इशारो में
भेज
रही थी सन्देश
हम
दोनों के मिलन में
क्या
रह गया शेष
तुमने
मेरे मन में
ऐसी
आग लगाई
सारी
शूटिंग कैंसिल कर
तुम्हारे
पास आयी
शब्दों
के चला रही थी
मीठे
मीठे तीर
खुद
को समझने लगा राँझा
उसको
हीर
अचानक
विलेन की तरह
जॉन
ने इंट्री मारी
धरी
की धरी रह गई
मेरी
सारी होशियारी
दौड़ा
दौड़ा कर
उसने
मुझे कूटा
खटिया
से गिरकर
मेरा
सपना टूटा
आँख
खोल कर देखा
सामने
मेरे बापू खड़े थे
पुरे
शरीर में मेरे
जूते
के निशान पड़े थे
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