नोटबंदी के बाद मेरी जेब में
2000 का नोट महीनो से पड़ा था
उसका और मेरा प्रेम जगजाहिर था
क्योंकि वो और नोटों से बड़ा था
एक दिन वो मेरी जेब से
उछल कर भागा
तोड़ दिया उसने
प्रेम का मजबूत धागा
उसको जाते देख मैं भी
पीछे पीछे दौड़ा
पकड़ने के बाद उसको
कस कर तोड़ा मरोड़ा
उस पर कर दी
सवालो की बौछार
वो भी था कमर कस
लड़ने के लिए तैयार
भूखे शेर की तरह
मुझ पर गुर्राया
कहेने लगा
तेरे जैसा कंजूस नहीं पाया
कब तक करेगा
दूसरो के पैसे से मौज
चेंज नहीं चेंज नहीं
वही बहाना रोज
क्या मुझे भी
अपने साथ ऊपर ले जायेंगा
मेरे भाई
कब तू मेरे टूटे कराएंगे
कब तू मेरे टूटे कराएंगे।।
प्रेम का मजबूत धागा