खानदानी परम्परा
एक दिन मेरा बेटा
मुझको देख कर मुस्कराया
कहने लगा पापा
क्या मम्मी ने बैंड बजाया ,
मैंने कहा नहीं नहीं बेटा
जहरीले कीड़े ने कटा है
कहने लगा पापा
पाँचो ऊँगली छपी है ये तो चाटा है ,
मैंने कहा बेटा
मम्मी मच्छर भगा रही थी
कहने लगा पापा,
मैं खिड़की में खड़ा था जब लगा रही थी ,
मैंने कहा ये लो 50 का नोट किसी से मत कहेना
कहने लगा पापा
बाबा तो 100 का नोट देते है , कि चुप रहेना ,
एक और 50 का नोट
मेरे हाथ में दीजिये
मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा
कसम खाता हूँ विधा बालन की
मनमोहन की तरह बिलकुल चुप रहूंगा,,,,,,,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें