बुधवार, 1 मई 2019

धन्नो

बसंती की धन्नो
आज कल रूठी है
कह रही थी
मेरी किस्मत फूटी है

वीरू , बसंती को ले गया
मेरा ध्यान रखना
गब्बर के घोड़े से 

कह गया
मुआ गब्बर का घोड़ा
नाच धन्नो नाच धन्नो
दिन भर नचाता है
सांभा का घोड़ा
पहाड़ में खड़े होकर
ढोलक बजाता है

कब तक मुझे 
इन बेशर्मो के आगे
नाचना पड़ेगा
कौन-सा घोड़ा
वीरू बन कर
मेरी इज़्ज़त के लिए लड़ेगा,,,,,,,,,,,

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