सोमवार, 29 जुलाई 2019

परम्परा


जवानी की दहलीज में
रखा था हमने कदम
पहली बार पी थे
दोस्तों के साथ रम 

नशे में टुन्न
हम घर आये
दरवाजा खोलो
कस कर चिल्लाये

आँख मिचमिचाते
बापू ने दरवाजा खोला
गिरते पड़ते
हमने  सॉरी बोला

कस कर उन्होंने
मेरे गाल पर  तमाचा जड़ा
पाकिस्तान अर्थव्यवस्था की तरह
मैं नहीं रह पाया
अपने पैरो पर खड़ा

मुझ पर चिल्लाये 


तेरे परदादा ठर्रा पीते थे 
तेरे दादा जी ने भी परम्परा निभाई 
तू अंग्रेजी पीकर चला आया
तुझको जरा सी भी शर्म नहीं आयी

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