शुक्रवार, 27 सितंबर 2019

रावण की बाइक का चालान


रावण का बाइक में
घूमने का था प्लान
नए यातायात नियमो का
नहीं था उसको ज्ञान
पुलिस वाले ने
हाथ देकर रोका
एक बाइक में दस सवारी
रावण को टोका
चालान काट दिया
बाइक का भारी
कह रहा था
लंका लग गई हमारी

गुरुवार, 26 सितंबर 2019

रावण

एक बार रावण ने
भारत घूमने का मन बनाया
पूरी रंगबाजी के साथ
वो  नीचे आया
 
यहाँ  पर उसको
अपने से बड़े बड़े रावण 
नजर आ रहे थे
जो बिना दस सरो  के
आतंक मचा रहे थे

विभीषणों की फ़ौज देख कर
वो हैरान था
मन ही मन सोच रहा था
वो तो सिर्फ 
एक विभीषण से परेशान था

जो अपने ही घर को
अपने हाथो से तोड़ रहे थे
कभी जाती कभी मजहब
जाने कैसे कैसे बम फोड़ रहे थे

जिस नारी के पीछे
उसका सतयुग में हुआ था अंत
वो नारी तो अब
कपड़ो से थी पूरी तरह स्वतंत्र

छोटे छोटे कपडे पहन कर
रावण के  चारो तरफ मडरा रही थी
किसी के हाथ में सिगरेट
तो कोई पिज़्ज़ा खा रही थी

बेचारा रावण खुद ही
अपनी नजरो में शरमा गया
कही दृष्टि भ्रम तो नहीं
ये सोच कर वो भरमा गया

तभी मेरी हुई उससे मुलाकात 
मैंने बोली एक बात 

भाई साहब
ना जाने कितने माँ बाप 
अपने परिवार के लिए
बृद्धाश्रम में खून के आँसू रो रहे है
आप कैसे इतने सारे सरो का बोझ
अपने नाजुक कंधो पर ढो रहे है

कहने लगा तुम इंसान
मान मर्यादाओ की
सारी सीमाएं तोड़ रहे हो
अपने  घर की
बहु बेटियों को भी नहीं छोड़ रहे हो

जल्दी से  मेरे  ऊपर जाने के लिए
एक उड़न खटोले का कर  इंतजाम
नहीं तो  दशहरे से पहले
मैं खुद अपने हाथो से  कर लूँगा 
अपना काम तमाम

मैंने कहा , भाई साहब
फ्री का उड़न खटोला सिर्फ कलियुग के
एक सर वाले रावण को एलाऊ है
जो  आपकी  तरह भूखा नंगा नहीं
बहुत बड़ा खाऊ है

किसी तरह जुगाड़ कर
मैंने रावण की  धरती से करी विदाई
जाते जाते कह रहा था ,
तुम इंसानो के बीच तो
रावण का रहना भी मुश्किल भाई ,




शनिवार, 21 सितंबर 2019

मैं भूखा हूँ


माँ ! माँ !! माँ!!

मैं भूखा हूँ एक रोटी  दे दो

माँ चुप क्यों हो , कुछ तो कह दो

पूरा घर दाने - दाने को मोहताज था

महीनों से ना उनके पास कोई काज था

सुन बेटे की बाते  माँ की आखे भर आयी

क्या करू , ये सोच वो पगली घबराई

कही से कुछ लाती हूँ  बेटे को  दिलायी आस

बाहर से खाना लेकर मैं आती हूँ तेरे पास

माँ की ममता गलीगली मे भटक रही थी

गाली बन कर वो समाज को खटक रही थी

एक सौदागर उससे सौदे को तैयार था

इज्जत से ज्यादा माँ को , बेटे से प्यार था

शुक्रवार, 13 सितंबर 2019

नहेरु एक भस्मासुर


भारत के बटवारे में
नहेरु जिन्ना की मोहर थी,
रक्तरंजित चारो और
मानवता की धरोहर थी,,

स्वार्थ की खातिर अपने
माँ को अपनी बाट दिया,
लेकर हाथो में खंजर
दो टुकड़ो में काट दिया,,

भूल नहीं पाएंगे हम सब
ये जख्म बहुत ही गहरा है,
कितने ही नरसंहारो का
गाँधी नहेरु के सर सेहरा है,,

अंतिम साँस


एक नेता जी ले रहे थे  अंतिम  साँस 
अंतिम समय इंटरव्यू  दे रहे थे  ख़ास

रिपोर्टर ,
सर , आप ही क्यों अंतिम साँस ले रहे है
आप ही क्यों त्याग पत्र दे रहे है

नेता जी ,
पार्टी ने अंतिम साँस के लिये किया है मजबूर
शायद विरोधियो ने ऊपर पैसा दिया है भरपूर

रिपोर्टर ,
सर , आप अंतिम साँस के बाद क्या करेंगे
क्या ऊपर पहुंचकर  कर चुनाव लड़ेंगे

नेता जी ,
अंतिम साँस के बाद मैं चुप नहीं रहूंगा
किसी भी विरोधी को ऊपर नहीं सहूंगा
नई पार्टी बनाकर यमराज को दूंगा चुनौती
ख़त्म कर दूंगा चली रही उसकी बपौती

रिपोर्टर
सर , आप ही क्यों कुर्बानी दे रहे है
आप ही क्यों अंतिम साँस ले रहे है

नेता जी ,
जनता की भलाई के लिए
रोटी कपडा महंगाई के लिए
मैं कुर्बानी दे रहा हूँ
आपके सामने अंतिम सॉंस ले रहा हूँ
भारत के हर नेता को अब कुर्बानी देनी चाहिये
देश के नव-निर्माण के लिए अंतिम साँस लेनी चाहिए