एक मुर्गा जो जा रहा था कटने
छोटे छोटे टुकड़ो में बटने
फिर भी
मुस्करा रहा था
मस्त रहो,और मुर्गो
को समझा रहा था
विष्णु धाम
के लिए करने जा रहा प्रस्थान
धर्म के नाम पर कुर्बान मेरी जान
मैंने कहा
भाई ,
अपनी ख़ुशी का राज
हमको भी बताओ
बिना कठिन तपस्या विष्णु धाम ,
जरा समझाओ
कहने लगा ,
एक पंडित जी ने
आर्डर किया
है चिकन तंदूरी
मुझे चुना गया है
विष्णु धाम
और मुझमे बस कुछ
ही दूरी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें