बुधवार, 17 अप्रैल 2019

हकीकत

हकीकत


कल रात को मैंने एक सपना देखा की मैं मर गया
क्या बताओ साहब  आपको ] पसीने से तर बतर मैं कितना डर गया ,

हम निर्जीव अवस्था में जमीन पर पड़े थे
मोहल्ले के दूकानदार जिनसे लिया था उधार ] वो हमें घेरे खड़े खड़े थे ,

भइया  स्कूटी मेरी बहन ने बहन ने बुदबुदाया ] जो मुझसे बड़ी थी
दिल में पत्थर रख कर बता रहा हूँ ] मेरी लाश निचे पड़ी थी ,

मेरे छोटे भाई की आखों  में थे मगरमच्छ के आँसू 
इस मकान पर अब तुम्हारा पूरा कब्ज़ा है ] कोने में समझा रही थी उसकी सासू ,

मेरा इकलौता बीटा सोशल मीडिया में मैसेज भेजने में लगा था
डैडी अब नहीं रहे कैसे बताओ दोस्तों बीटा सगा था ,



मेरी इकलौती बीबी पर गिरा था दुखो का पहाड़ तगड़ा
मन ही मन सोच रही थी ] किससे करेगी अब वो लड़ाई झगड़ा ,


कैसे पालूंगी परिवार कैसे चलेगा घर का खर्चा  
सवेरे सवेरे अखवार के साथ आया था ] कपड़ो पर ५०% डिस्काउंट का पर्चा ,

मुझको जलाने के लिए रिश्तेदारों ने हाथ कर दिए थे खड़े
कह रहे थे महीने के आखिर में मरा ] वैसे भी पैसो के लाले पड़े ,

चंदा कर के किसी तरह किया गया पैसो का इन्तिजाम
बनाबटी चहेरो ने किया ] मेरे मुर्दा जिस्म का काम तमाम ,


क्या बताऊ आपको साहब पसीने से तर बतर मैं कितना डर गया
सोकर उठा आँखो में आँसू ] सोच रहा था क्यों नहीं मै हकीकत में मर गया ,,,,
सोकर उठा आँखो में आँसू ] सोच रहा था क्यों नहीं मै हकीकत में मर गया ,,,,

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