बुधवार, 17 अप्रैल 2019

मल्लिका शेरावत

मल्लिका शेरावत  
 
मल्लिका शेरावत से हो गया हमको प्यार 
शादी के लिए थे हम दोनों तैयार 

मंदिर में जाकर की हमने शादी 
फेरो के समय पहनी थी उसने साड़ी  आधी 

पंडित की आखो में बाँध दिया हमने कपडा 
कही मंदिर में ना हो जाये कोई लफड़ा 

अपनी पत्नी के साथ हम घर आये 
प्राचीन सभ्यता को पून्हा जीवित देख घरबले चकराए 

अम्मा दौड़ कर दूसरे कमरे से साड़ी लायी 
कहने लगी , बहु को पहना दो बहु पहेली बार आयी 

बापू का मूड लग रहा था उखड़ा उखड़ा 
मंडी में माल नहीं बिका था किसको सुनते दुखड़ा 

दिल कड़ा कर दोनों ने दिया आशीर्वाद 
बहु कपडे पहनने की सदा रहे याद 

अभी उसने रखा था घर में पहला कदम 
मोहल्ले बाले कह रहे थे देखो सचिन लाया है देशी बम 

दूसरे दिन था घर में गाना बजाना 
मकसद था बहु का मुँह रिश्तेदारों को दिखाना 

ले देकर हो रही थी पूरी रस्में 
इसकी बीबी की शक्ल मत देखना खिला कर आयी थी अपने मर्दो को कस्मे 

जो भाई उम्र में मुझसे बड़े थे 
वो भी देवरो वाली लाइन में खड़े थे 

भाभी भाभी कह कर गाल छु लेते थे 
क्या सटीक हाथ मारा है मोहल्ले के बुड्ढे  कहते थे 

हँस  कर सब सहने को हम मजबूर थे 
क्योंकि हम आज के आधुनिक युवक सभ्यता से कोषो दूर थे
क्योंकि हम आज के आधुनिक युवक सभ्यता से कोषो दूर थे

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